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Edition : 1 | Volume : 1
Publishing Year : 2025
Langage : Hindi
Publisher : South India Book Traders
Author/s :
Dr. Pallav Shekhar , Dr. Mirtunjay Kumar , Dr. Vivek Kumar Singh , Dr. Gyan Dev Singh
Availability :
Hard Bond
ISBN: 9789349317482
Publishing Year: 2025
Paper Back
ISBN: 9789349317581
Publishing Year: 2025
कुत्ते मानव सभ्यता के सबसे पुराने और सबसे विश्वसनीय साथी माने जाते हैं। सदियों से कुत्तों ने मनुष्यों के साथ रिश्ते बनाए हैं चाहे वह शिकारी के रूप में हो या पालतू के रूप में। आजकल कुत्ते हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। वे न केवल हमारे मित्रा होते हैं बल्कि हमारे परिवार का भी हिस्सा होते हैं। जैसे हम अपनी सेहत का ख्याल रखते हैं वैसे ही कुत्तों की सेहत भी महत्वपूर्ण है। एक पालतू कुत्ते के अच्छे स्वास्थ्य के लिए उसे ठीक से देखभाल की आवश्यकता होती है जिसमें उसकी बीमारियों का समय पर निदान और उपचार शामिल है।
इस पुस्तक का उद्देश्य कुत्तों में होने वाली सामान्य बीमारियों के बारे में विस्तृत जानकारी देना है। इसमें संक्रामक रोगों, आंतरिक रोगों, बाहरी और आंतरिक परजीवियों से संबंधित रोगों और शल्य चिकित्सा संबंधित स्थितियों का समावेश किया गया है। हम सभी जानते हैं कि कुत्ते बहुत जल्दी बीमारी का शिकार हो सकते हैं, क्योंकि उनकी शारीरिक संरचना और इम्यून सिस्टम मानव से काफी अलग होते हैं। संक्रामक रोग कुत्तों में सामान्य होते हैं और इनमें बुखार, खांसी, दस्त, पाचन संबंधी समस्याएँ, और त्वचा की समस्याएँ शामिल हैं। इन रोगों के कारण कुत्ते का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है, और यदि इनका सही समय पर इलाज न किया जाए तो ये गंभीर रूप ले सकते हैं। कुत्तों के शरीर में होने वाले आंतरिक परजीवी जैसे कृमि, मच्छर द्वारा फैलने वाली बीमारियाँ, और अन्य संक्रमण कुत्तों को प्रभावित करते हैं, जिससे उनके पाचन तंत्रा और अन्य अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, बाहरी परजीवी जैसे पिस्सू, जूँ और टिक भी कुत्तों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे उनकी त्वचा पर एलर्जी और संक्रमण हो सकता है। कभी-कभी कुत्ते किसी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं या उनकी शारीरिक संरचना में किसी प्रकार की गड़बड़ी हो सकती है, जिसे शल्य चिकित्सा के द्वारा सुधारना पड़ता है। कुत्तों में हड्डियों की टूट-फूट, आंतरिक अंगों में क्षति, और ट्यूमर जैसी समस्याएँ हो सकती हैं, जिन्हें ऑपरेशन के माध्यम से ठीक किया जाता है।
इस पुस्तक में, हमने इन सभी रोगों और शर्तों का सरल और समझने योग्य तरीके से विवरण दिया है। हमारा उद्देश्य पालतू कुत्तों के मालिकों और पशु चिकित्सकों को कुत्तों में होने वाली बीमारियों के बारे में जागरूक करना है ताकि वे समय रहते इलाज कर सकें और अपने कुत्ते को एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन दे सकें।
आशा है कि यह पुस्तक आपको कुत्तों की बीमारियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगी और आपको अपने कुत्ते की देखभाल में मदद करेगी।
Dr. Pallav Shekhar
डॉ. पल्लव शेखर एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् और वन्यजीव पशु चिकित्सक हैं, जिन्होंने पशु चिकित्सा विज्ञान, शिक्षा, और अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पशु चिकित्सा के क्षेत्रा में दो दशकों से अधिक का प्रगतिशील अकादमिक और पेशेवर अनुभव रखने वाले डॉ. शेखर वर्तमान में बिहार पशु चिकित्सा कॉलेज, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पाटना के पशु चिकित्सीय क्लिनिक परिसर विभाग के प्रोफेसर एवं प्रमुख के पद पर कार्यरत हैं।
उन्हें बिहार के माननीय मुख्यमंत्रा द्वारा प्रदान किया गया श्रेष्ठ वन्यजीव पशु चिकित्सक पुरस्कार और विश्वविद्यालय का श्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार सहित कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। एक मार्गदर्शक और अकादमिक नेता के रूप में, डॉ. शेखर ने 04 पीएच.डी. शोधार्थियों और 27 डण्टण्ैबण् छात्रों के प्रमुख सलाहकार के रूप में मार्गदर्शन किया है, जिससे पशु चिकित्सा अनुसंधान में क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान मिला है।
वे दो पुस्तकों के लेखक हैं, तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में 50 से ज्यादा शोध प्रकाशन कर चुके हैं। उनके अनुसंधान की गुणवत्ता उनके ी-इंडेक्स 10 और प10-इंडेक्स 10 से परिलक्षित होती है। सेवा कार्यकाल के अतिरिक्त, उन्हें प्ब्।त् श्रत्थ्, ैत्थ् और प्ैटड प्रशंसा पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कार भी मिले हैं।
Table of Contents..
1. कैनाइन डिस्टेम्पर
2. कैनाइन पार्वो वायरस संक्रमण
3. संक्रामक कैनाइन हेपेटाइटिस
4. रेबीज
5. कुत्तों का हुक वर्म रोग
6. कैनाइन एस्कारियासिस
7. कैनाइन बेबेसियोसीस
8. कैनाइन एर्लिचियोसिस
9. कैनाइन एनाप्लाज्मोसिस
10. कैनाइन ट्रिपैनोसोमोसिस
11. कैनाइन हार्ट वर्म
12. कैनाइन डिमोडिकोसिस
13. रिंग वर्म
14. कुत्ते में मिर्गी
15. कुत्तों में ओटाइटिस
16. पिल्लों में रिकेट्स
17. कुत्तों में बुखार, हाइपरथर्मिया और हाइपोथर्मिया
18. कुत्तों में वमन (उल्टी)
19. कुत्तों में दस्त
20. कुत्तों में एनीमिया
21. गुर्दे की विफलता
22. पीलिया (जौंडिस)
23. ब्रोंकाइटिस
24. न्यूमोनिया
25. कुत्तों में हृदय रोग
26. कुत्तों में किलनी (टिक्स) का संक्रमण
27. माइट्स
28. कुत्तों में घाव
29. गैस्ट्रिक डाइलेशन -वॉल्वुलस (जीडीवी)
30. फ्रैक्चर
31. कुत्तों में हिप डिस्प्लेसिया
32. कुत्तों में मधुमेह (डायबिटीज)
33. मादा श्वानों में एक्लैंप्सिया
34. छद्य गर्भावस्था /स्यूडोसाईसीस
35. पायोमेट्रा
36. कुत्तों में आँखों की समस्याएँ
37. कुत्तों में सामान्य विषाक्तता
38. श्वानों का सौंदर्य संवर्धन-ग्रूमिंग एक संपूर्ण मार्गदर्शिका
39. श्वानों का टीकाकरण
40. स्वस्थ श्वान के सामान्य शारीरिक एवं रूधिर-जैव रासायनिक प्रतिमान